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ग्लोबल शिक्षाविदों की संगोष्ठी में शामिल हुए दुमका के डॉ सपन कुमार, आदिवासी शिक्षा पर दिया जोर 

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दुमका 
जापान और जर्मनी द्वारा आयोजित ग्लोबल शिक्षाविदों की संगोष्ठी में दुमका के शिक्षक डॉ सपन कुमार शामिल हुए। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्राचीन एवम् आधुनिक शिक्षा पर हो रहे बदलाव पर विश्व के 10 देशों के शिक्षाविदों ने विचार प्रकट किये। भारत के इनोवेटिव, नवाचारी शिक्षक डॉ सपन कुमार ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे बदलाव और  पद्धति के बारे में विचारों को साझा किया। डॉ सपन कुमार ने कहा कि वैश्विक स्तर पर हर क्षेत्र में नित्य बदलाव देखा जा रहा है। शिक्षा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। सामाजिक मूल्यों, नैतिकता, पर्यावरण संरक्षण के साथ सामाजिक दायित्वों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा को सरल तरीके से पहुंचना आवश्यक है। विश्व के सुदूर क्षेत्र के गरीब घर के बच्चों को सरल एवं सुलभ तरीके से शिक्षा प्राप्त हो इसके लिए विश्व के सभी शिक्षाविदों को एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। 

जापान के ओसाका यूनिवर्सिटी एवं जर्मनी के यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित इस वेबीनार में जापान, जर्मनी, इंडोनेशिया, भारत, मलेशिया, इंग्लैंड, साइप्रस, अर्जेंटीना, कोलंबिया, अफ्रीका आदि के शिक्षाविद शामिल हुए। डॉ सपन कुमार ने नई शिक्षा नीति के साथ सुदूर आदिवासी क्षेत्र में किए जा रहे हैं नवाचारों के बारे में भी बताया गया। शिक्षा के क्षेत्र में कोरोना काल में ब्लैकबोर्ड मॉडल, शिक्षा के नए नवाचारों इलेक्ट्रिक पॉल मॉडल, एडल्ट एजुकेशन, शून्य निवेश नवाचार एवं पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए पशु पक्षियों के लिए दाना पानी अभियान पर जोर दिया। बता दें कि कोरोना काल में अनोखा ब्लैकबोर्ड मॉडल के जन्मदाता शिक्षक डॉ सपन को कई मंचो पर सराहना मिल चुकी है। जापान के शिक्षाविद प्रोफेसर कीमा सुजीनो ने जापान के में किए जा रहे शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव के बारे में बताया। वहीं जर्मनी के बेंजामिन ने जर्मनी में शिक्षा के क्षेत्र में किया जा रहे हैं कार्यों के बारे में विस्तार से बताया।  


शिक्षाविदों ने भारतीय शिक्षा पद्धति की सराहना की। सभी ने सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले गरीब घर के बच्चों तक सरल एवम् सहज रूप से  शिक्षा  उपलब्ध कराने  के लिए अपनाए जा रहे नवाचारों पर सहमति जताई। सभी ने मिलकर एक साथ कार्य करने की बात दोहराई। जर्मनी साइप्रस एवं जापान के शिक्षाविदों ने जल्द ही भारत भ्रमण कर भारतीय शिक्षा पद्धति पर अध्ययन करने की बात कही। डॉ सपन ने  इस वेबीनार के बाद बताया कि यह उनके लिए अनोखा पल रहा। 


 

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